साई की निकली है पालकी

साई की निकली है पालकी,
देखो रे छवि है जिसकी कमाल की,
जो भावना से कांधो पे इसको उठायेंगे,
वो अपने मनोरथ पूरे कर जायेंगे,
पलटे है सबके नसीब ये,
तख़्त बिठाए करीब ये,
साई जी की निकली है पालकी,
देखो रे शोभा क्या फूलों के जाल की,
जो जय साई जय साई जय साई बोलते,
ये साई उनके किस्मत के दरवाज़े खोलते,
जो करता है सेवा मिले रहमत का मेवा,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु.....

साई साई बोल जय जय साई बोल,
जय साई बोल तेरा चांदनी का मोर,
जय हो साई साई जय हो साई जय हो,
जय हो साई साई जय हो साई जय हो.....

हो साई महादानी साई शहनशाह जय हो,
साई को न जाने देना मन से जय साई,
साई तो है प्रेम के भूखे जय हो,
उन्हे ना रिझाये कोई धन से जय साई,
भक्तो के बस में रहते जय हो,
ये है दुश्मन अभिमान के जय साई,
सबकी है इनको खबर रे जय हो,
सपने है क्या इंसान के जय साई,
बोलो बोलो साई की जय बोलो,
ना तुम डोलो बोलो रे,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु,
जय जय साई,
जो भावना से कांधो पे इसको उठायेंगे,
वो अपने मनोरथ पूरे कर जायेंगे,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु.....

ओ पालकी में जो बैठी है हस्ती जय हो,
वो ही हम सबको है पालती जय साई,
नित नये करामत करके जय हो,
अपने मुरादों को संभालती जय साई,
देखने में लगता फ़क़ीर जो जय हो,
दुनिया का वो सुल्तान है जय साई,
हम तो बहकते भटकते जय हो,
वो ही हमारा निगे बान है जय साई,
बोलो बोलो साई की जय बोलो,
ना तुम डोलो बोलो रे,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु...

साई की निकली है पालकी,
देखो रे छवि है जिसकी कमाल की,
जो भावना से कांधो पे इसको उठायेंगे,
वो अपने मनोरथ पूरे कर जायेंगे,
पलटे है सबके नसीब ये,
तख़्त बिठाए करीब ये,
साई जी की निकली है पालकी,
देखो रे शोभा क्या फूलों के जाल की,
जो जय साई जय साई जय साई बोलते,
ये साई उनके किस्मत के दरवाज़े खोलते,
जो करता है सेवा मिले रहमत का मेवा,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु,
साई मेरे दीनबंधु,
साई मेरे करुणासिंधु......
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