बम-बम भोला हो अयला शशिपुर गाम,
भगवत्ती के सामने तोहर बास भेल अहिठाम,
बम-बम भोला हो अयला शशिपुर गाम॥
कार्तिक गणपति संग में अनिह पार्वती के संगे,
बसहा सेहो साथ में अनिह भरि क पूर्ण उमंगे,
गंगाजल भरि जल चढायब करब तोहर स्नान,
बम-बम भोला हो....
त्रिभुवन के तू मालिक बाबा छ तू औघर दानी,
धिया पुता हम तोहर बाबा छी अबोध अज्ञानी,
गाम में आर परदेस में बसल सब तोहर संतान,
बम-बम भोला हो....
कृपा बना क रखिह बाबा बैद्यनाथ रामेश्वर,
जबलपुर रेवा तट वासी दानी तू नर्मदेश्वर,
राति दिन हे तोहर शंकर करी सदा गुणगान,
बम-बम भोला हो....
तू ही छ “शशिनाथ महादेव” तू ही छ कैलाशी,
तु ही छ केदार नाथ आ तू ही छ सबके काशी,
साष्टांग भय तोहर चरण में सब क्यो करी प्रणाम,
बम-बम भोला हो....