हारे का सहारा है तू श्याम हमारा है,
याद तेरी जब सांवरे हमको आती है तो रुलाती है....
दुनिया का हर रिश्ता लगता झूठा है,
अपने प्रेमी से क्या तू भी रूठा है,
तुझे भोग लगाऊं क्या मुझे खाने के लाले हैं,
तेरे दर कैसे आऊं मेरे पाँव में छले हैं,
ये दुनिया गरीबी की मेरी हंसी उड़ाती है,
आँख मेरी फिर भर भर नीर बहाती है ये बहाती है.....
मैंने सुना तू जग का पालनहारा है,
खाटू नगरी में दरबार तुम्हारा है,
तेरी शरण में आकर के सब कुछ मिल जाता है,
रोटा हुआ आये जो हँसता हुआ जाता है,
मेरे जीवन दीपक की तेरे हाथ में बाती है,
याद तुम्हारी जब जब मुझको आती है वो रुलाती है....
अंत समय जब मौत का साया बैठा हो,
हाथ तू फेरे सर पे पास में बैठा हो,
विपिन तेरे चरणों में तेरा गुणगान करे,
गर फिर से जनम मिले खाटू दरबार मिले,
जब मिला है जीवन तो फिर मौत भी आती है,
याद तेरी जब सांवरे हमको आती है वो रुलाती है......