कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
जो कुछ भी हो रहा है,उस में हाथ तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
हारे थे हारते थे का हारते रहे गये,
खामोश है कन्हिया कुछ भी न कहे गये,
किस से कहू हे मोहन कोई न जग में मेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
हिस्कोले खाते खाते सेहना तुमसे ही सिखा,
अब तो लगे है हारना जुआ भी जिन्दगी का,
दुःख में भी सुख है मोहन कैसा है खेल तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा,
करली जो तुमसे यारी जीना सफल हुआ है,
बदनाम नाम ना हो मेरी तो ये दुआ है,
कितने चला वो जड्डू ॐ छोड़े न साथ तेरा,
कितना अजीब मोहन किस्मत का लेख मेरा