तर्ज -पारम्परिक
हो रही तेरी आरती, मिनावाड़ा की दशा माँ,
है जग जननी माँ कल्याणी, करे आरती भक्त तुम्हारी,
द्वार तुम्हारे उतारे आरती,
मिलकर के नर ओर नारी, नर और नारी,
हो रही तेरी आरती....
ढोल नगाड़ा शंख बजे है, गूंज रही शहनाई,
रुमझुम रुमझुम होबे आरती,
जग मग जग ज्योत जगाई, माँ ज्योत जगाई,
हो रही तेरी आरती....
शीश मुकुट, गल मोतियन माला ,
ओढे लाल चुनरियाँ,
सज धजकर माँ बैठी ऊंट पर,
दर्शन कर रही दुनियाँ, ये दुनियाँ सारी,
हो रही तेरी आरती....
व्रत उपवास करके जो तेरा, दस दिन पूजा पड़ावे,
करके कृपा माँ उन भक्तो का,
दुख दरिद्र दूर भगावे, माँ बिगड़ी बनावे,
हो रही तेरी आरती....
कुमकुम पगले आप पधारो, खेल रही महारानी,
दिलबर नागेश द्वार खड़े माँ,
भक्त उतारे माँ तेरी आरती, माँ सबको तारती,
हो रही तेरी आरती....