ढफ बाजे ढोल शहनाई रे

( भादो महीना कृष्ण पक्ष की,
तिथि अष्टम है आई,
रोहिणी नक्षत्र में प्रगटे है हरि,
कृष्ण चंद्र यदुराई,
मथुरा में जो चाँद है  निकला,
आज गोकुल दिया दिखाई,
मधुप हरि सब नाचे गावे,
जनम अष्टमी आई। )

ढफ बाजे ढोल शहनाई रे ढफ बाजे,
प्रगटे है कृष्ण कन्हाई रे ढफ बाजे.......

नन्द भवन नन्द नंदन आयो,
सगल सुमंगल आनंद छायो,
हो महकी महकी चले पुरवाई रे ढफ बाजे......

ब्रज वासी मिल ख़ुशी मनावे,
मंगल गीत बधाईयां गावे,
हो नन्द यशोदा बधाई लुटाई रे ढफ बाजे.....

जो आवे सोई पल ना जुलावे,
मधुप हरि मंद मंद मुस्कावे,
हरि दर्श परम सुखदाई रे ढफ बाजे,
ढफ बाजे ढोल शहनाई रे ढफ बाजे.........

(सर्वाधिकार लेखक आधीन सुरक्षित। भजन में अदला बदली या शब्दों से छेड़-छाड़ करना सख्त वर्जित है)
download bhajan lyrics (301 downloads)