श्याम ऐसे बसों मेरे मन मे नैनन मे,
कोई देखे ना हमको तुमको...
जैसे धरती पे बीज उगता है,
कोई देख नहीं पाता है,
श्याम ऐसे बीजो मेरे मन मे.....
जैसे दूध मे घी रहता है,
कोई देख नहीं पाता है,
श्याम ऐसे बिलो मेरे मन मे....
जैसे मेहंदी मे रंग रहता है,
कोई देख नहीं पाता है,
श्याम ऐसे रचो मेरे मन मे.....
जैसे मंदिर मे तुम रहते हो,
जैसे किसी को नहीं दिखते हो,
श्याम ऐसे बसों मेरे मन मे....