ये सब मन का खेल बाँवरे

ये सब मन का खेल बाँवरे, ये सब मन का खेल.....

मन में प्रेम की लहर उठे तो उड़े हवा में चाँद को छू ले,
मन में क्रोध की अगन उठे तो मर्यादा और मान ये भूले,
मर्यादा और मान ये भूले, ये सब मन का खेल बावरे......

मन बुझ जाए तो हो जाता दीन हीन मानव बेचारा,
मन में जोश उमंग उठे तो मोड़ दे ये तो वक्त की धारा,
मोड़ दे ये तो वक्त की धारा, ये सब मन का खेल बावरे.....

मन को तू पहचान, मन ही बैरी, मन ही मीत है बंदे,
मन के हारे, हार जगत में, मन के जीते जीत है बंदे,
मन के जीते, जीत है बंदे, ये सब मन का खेल बावरे......
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