मेरे, राघव जी, उतरेंगे पार,
गंगा मईया, धीरे बहो ॥
गंगा , धीरे बहो, गंगा धीरे बहो ॥
मेरे, राघव जी, उतरेंगे पार...
गहरी, नदियां, नाव पुरानी ।
चले, पुरवैया ना, गति ठहरानी ॥
मेरे, प्रियतम, बड़े सुकुमार,
गंगा मईया, धीरे बहो ।
मेरे, राघव जी, उतरेंगे पार...
राम, सिया और, लखन विराजे ।
शीश, जटा तन, मुनि पट साजे ॥
आज, शोभा, बनी है अपार,
गंगा मईया, धीरे बहो ।
मेरे, राघव जी, उतरेंगे पार...
पुलक, शरीर, नीर अंखियन में ।
आनंद, मगन, होत दर्शन में ॥
भव, सागर से, मोहे उतार,
गंगा मईया, धीरे बहो ।
मेरे, राघव जी, उतरेंगे पार...
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल