रख लई दाढ़ी बढ़ा ली जटा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन मंदिर में देखा
कर रहे पूजा बजावे घंटा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन संतो के बीच देखा,
ले रहे गांझा और पिवे सुल्फा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन जंगल में देखा,
हाथों में पानो के खोले पटा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन ठेके पर देखा,
हाथों में पऊवा वह कर रहे नशा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन थाने में देखा,
बोल रहे झूठ उनके पढ़ रहे डंडा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक देन वह कोर्ट में देखा,
हो रही बयान बाके ठाड़े गवाह,
साधु के भजन का कोई ना पता.....
एक दिन जेलों में देखा,
हाथ कटोरा वो पी रहे मट्ठा,
साधु के भजन का कोई ना पता.....