दिलवाले तो बहुत है जग में श्याम सा दिलदार नहीं,
बहुत महल और कोठी देखे खाटू सा दरबार नहीं.....
स्वर्ग हज़ारों बैकुंठ चाहे लाख देखा जी,
जिसने खाटू नहीं देखा फिर क्या ख़ाक देखा जी.....
खाटू दरबार लगाया मरुधर में स्वर्ग बनाया,
कृष्ण का वर पाकर के कलयुग का देव कहाया....
वही राम है वही कृष्ण है वही है भोले शंकर,
पूजा करने लायक सुनलो खाटू का हर कंकर,
सभी देव हैं हर कंकर में झाँक देखा जी,
जिसने खाटू नहीं देखा फिर क्या ख़ाक देखा जी.....
खाटू में शीश की पूजा वहां पे हाथ नहीं है,
ऐसा काम बताओ जिसमे इसका हाथ नहीं है,
करे करिश्मा ये तो हाथों हाथ देखा जी,
जिसने खाटू नहीं देखा फिर क्या ख़ाक देखा जी.....
बनवारी आसान है भक्तों खाटू नगरी जाना,
लेकिन बड़ा ही मुश्किल सुनलो वहां से वापस आना,
इससे बिछड़ कर सबकी बरसे आँख देखा जी,
जिसने खाटू नहीं देखा फिर क्या ख़ाक देखा जी......
जो भी सवाली आये, मुंह माँगा वो वर पाए,
ऐसे देव की जय जैकार में कमी ना रह जाए,
सच्चे दरबार की जय, सच्ची सरकार की जय,
हाँ लखदातार की जय, लीले असवार की जय.....
मरुधर भूमि चुनी है तूने अपना धाम बनाने,
तेरे द्वार की अमिट कहानी वेद पुराण बखाने,
सुनी सुनाई बात ना खुद की आँख देखा जी,
दर्दी की श्री श्याम बचाये साख देखा जी,
जिसने खाटू नहीं देखा फिर क्या ख़ाक देखा जी......