भजन की नहीं विचारी रे महरा मनवा नहीं विचारी रे,
थारी म्हारी करते बीती उमर सारी रे......
नो दस मास गरभ मे राख्यों माता थारी रे,
जल्दी बाहर निकालो प्रभु जी, फेरु माला थारी रे,
भजन की नहीं विचारी रे...........
बालपना मे लाड़ लड़ायो माता थारी रे,
आई जवानी प्यारी लागे, घर की नारी रे,
भजन की नहीं विचारी रे........
आयो बूढ़ापो हासी हासे घर की नारी रे,
अबे यो बूढ़ो कदे मरेगों, छूटे जान हमारी रे,
भजन की नहीं विचारी रे..........
अंत समय मे दस दरवाजा पड़ गई झाली रे,
कालूदास गुरु की शरणा, आवो सारि रे,
भजन की नहीं विचारी रे..............