ना पहले आली हवा रही ना पहले आला पानी,
होगी ख़त्म कहानी ना मिलती कोई चीज पुराणी.....
पहले आले कोई ईब ठाट ना रहे
जोहड़ उपर नहाया करते घाट ना रहे
घी तोल्या करती दादी वे बाट ना रहे
धोती खंडके आले ईब जाट ना रहे
पेदल चल के जाया करते बाट ना रही
बालका प पड्या करती डाट ना रही
दरवाज्या में घली हुई खाट ना रही
गाम के मा बानिया की हाट ना रही
पतल उपर बैठ क वो खाना ना रहया
पाट्ड़े प बैठ क वो नहाना ना रहया
घूँघट के महां बीर का शर्मना ना रहया
टोलिया में बैठ क वो गाना ना रहया
दामण पहर चाल्या करती बीर ना रही
हारे उपर बनया करती खीर ना रही
बाहन और भाई आली धीर ना रही
पहले आले रांझे और हीर ना रही
दरवाजे प लागे व किवाड़ ना रहे
बैल गाड़ी जुए और नाड ना रहे
पहले आले बोझडे और झाड़ ना रहे
चोर जो लगाया करते पाड़ ना रहे
पहले आला कोई इब खेल ना रहया
आपस के मा भाईया का ईब मेल ना रहया
दीवे के मा घाल्या होया तेल ना रहया
भोत कम रहगे मानस ठेल ना रहया
पहले आली इब वा पढाई ना रही
डेड़ ढाई पोना और सढाई ना रही
आदर मान बोर और बड़ाई ना रही
हंगे और जोर की लड़ाई ना रही
डंगरा के ईब किते पाली ना रहे
4 बजे जोडया करते हाली ना रहे
बाग की रुखाली करते माली ना रहे
पहले आले जीजा और साली ना रहे
पहले आले जोड़ व शरीर ना रहे
सादु संत सचे व फकीर ना रहे
राह चलते रुक जाते वो राहगीर ना रहे
ओरतां के सर प चीर ना रहे
कठे बैठ क बतलाना ना रहया
बडे न वो बालक का समझाना ना रहया
कुनबे का खेत म वो जाना ना रहया
हँसिया म देते थे उल्हाना ना रहया
कस्ट की कमाई के वो दाम ना रहे
पहले आले शहर और गाम ना रहे
काम करक आव थे आराम ना रहे
पहले आले बालका के नाम ना रहे
पहले आले बैद और दवाई ना रही
होया करते ब्याह और सगाई ना रही
बालका न पैदा करती दाई ना रही
लेया देया करते व बधाई ना रही
ल्यावं थे संदेस चिट्ठी तार ना रहया
पहले आला बीराँ का सिंगार ना रहया
धर्मपत्नी और भरतार ना रहया
सची कहू पहले आला प्यार ना रहया
पहले आले दानी और दान ना रहे
पंडित लोग दिया करते ज्ञान ना रहे
बात उपर मर ज्याँव थे बयान ना रहे
योगी जो लगाया करते ध्यान ना रहे
पहले आले कुए और जोहड़ ना रहे
सर के उपर सज्या करते मोड़ ना रहे
बाहमण और नाइ आले जोड़ ना रहे
बूढ़े बैठ तोड्या करते पोड ना रह
खेत म बनाया करते होल ना रहे
सांग देखण जाया करते टोल ना रहे
गुड के व मीठे मीठे चोल ना रहे
पहल आले राही और डोल ना रहे
रिज आले कुर्ते और दोहर ना रही
झालरे म लगी हुई मोहर ना रही
मन म जो उठया करती लोहर ना रही
बड़े बूढ़े मानस की ईब टोर ना रही
मन के व सचे इब मीत ना रहे
सामन-फागन-कातक आले गीत ना रहे
पहले थे रिवाज और रीत ना रहे
पहले आली हार और जीत ना रहे
माटी आले ईब किते चुहले ना रह
मटना लगाते थे व दुल्हे ना रहे
उठया करती कीतनी गुंजार गीता की
जोहड़ उपर घले हुए झूले ना रहे
बालका क पड्या करती लाअल ना रही
भाज क न लुक्या करते साल ना रही
डंडा-डू खेल्या करते जाल ना रही
जीवनपुर गाम के व गाल ना रही
पहले आली शर्म वा सचाई ना रही
पहले आले लोग व लुगाई ना रही
पहले आला प्यार और जुदाई ना रही
होया करती पहले वा कविताई ना रही
ददा जगनाथ क तु ध्यान धर ले
रणधीर सिंह गुरुजी दया आप कर ले
सहगल जी के चरणा में जाके पड़ जा
खाली पड़े ज्ञान के भण्डार भर ले
रामकेश तू के लिखता
न आती कलम उठानी
होगी ख़तम कहानी न मिलती कोई भी चीज़ पुरानी
ना पहले आली हवा रही ना पहले आला पानी
होगी ख़त्म कहानी ना मिलती कोई भी चीज पुराणी
ना मिलती कोई भी चीज पुराणी
ना मिलती कोई भी चीज पुराणी
ना मिलती कोई भी चीज पुराणी........