अवतार चेतना मनुज रूप में,सर्वप्रथम धरा पर आए।

वामन अवतार

अवतार चेतना मनुज रूप में,सर्वप्रथम धरा पर आए।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

भाद्रपद की शुभ द्वादशी,प्रभु ने वामन रूप धरा,
बौना ब्राह्मण बालक बनकर,जग में नव प्रकाश भरा,
देवों की विनती पर आये, करने धर्म से युक्त धरा।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

दानवीर बलि था प्रतापी, तीन लोक में विजयी हुए,
स्वर्ग, धरा, पाताल लोक में,दैत्यों का साम्राज्य किए,
अहंकार में सत्य मार्ग को, दानवीर ने भुला दिए।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

वामन बोले तीन पग दे दो, बस इतनी सी अनुदान,
छोटे रूप में छिपी हुई थी, विराट जगत की अद्भुत शान,
ज्ञान से जीती जाती दुनिया, यही सर्वदा सत्य है मान।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

पहले पग में धरा समाई, दूजा नापे गगन अपार,
तीसरे पग पर शीश झुकाकर,स्वयं बलि हुआ स्वीकार,
दानवीर की गाथा गाता, आज भी सकल संसार।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

बल से नहीं, बुद्धि से जीतो, यही तो है मानव का धर्म,
छोटी काया, बड़ा विचार हो, यही मनुज का है सत्कर्म,
नीति और ज्ञान से जग में, बढ़ जाता है सच्चा धर्म।
ॐ नमो भगवते वामनाय॥ॐ नमो भगवते वामनाय॥

उमेश यादव

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