लाख चौरासी जीया जून में नाचै दुनियां सारी,
नाचण मैं के दोष बता या अक्कल की हुशियारी.....
सबतैं पहलम विष्णु नाच्या पृथ्वी ऊपर आकै,
फिर दूजै भस्मासुर नाच्या सारा नाच नचा कै,
गौरां आगै शिवजी नाच्या, ल्याया पार्वती नै ब्याह-कै,
जल के ऊपर ब्रह्मा नाच्या कमल फूल के मांह-कै,
ब्रह्मा जी नै नाच-नाच कै रची सृष्टि सारी.....
गोपियों में कृष्ण नाच्या करकै भेष जनाना,
विराट देश में अर्जुन नाच्या, करया नाचना गाणा,
इंद्रपुरी में इन्द्र नाचै जब हो मींह बरसाणा,
गढ़ मांडव में मलके नाच्या करया नटों का बाणा,
मलके नै भी नाच-नाच कै ब्याहली राजदुलारी.......