कर्मा वाला जनम तू पाया,
व्यर्थ गवा न पराणी चार दिन की ये जिंदगानी,
फिर तेरी ख़त्म कहानी,
माँ बेहन भी बी और बंधू झोठे है सब रिश्ते,
काल समाये का आये का कब टूटे गे सब रिश्ते,
साथ न देगा धन और सोना गल हो गी ज़ंजीर पुरानी,
कर्मा वाला जनम तू पाया......
हाथ गुनाहों से रंगे है और हुआ मन काला,
लाख छुपा कर पाप करे तू देखे गा देखने वाला,
दे न धोखा खुद को बन्दे कर न नादानी,
कर्मा वाला जनम तू पाया.....
लाख चुरासी कट ना सके गी सब न हो गुरु का साथ,
नाम प्याला पे के बंदे हो गा यम से आजाद,
मेहता गुरु है अमृत सरोवर मन निर्मल श्याम सुहानी,
कर्मा वाला जनम तू पाया.....