है इक फकीरा शिरडी में

बड़ी निराली महिमा जिस की जिसके खेल निराले,
है इक फकीरा शिरडी में,

छोड़ चुके हो जिसको सारे वो उसको अपनाता है,
उस के मन में दया बड़ी है सब को गले लगाता है,
चरण में आये सब भगतो को जो बचो सा पा ले,
है इक फकीरा शिरडी में,

मीठी मीठी वाणी उसकी प्रेम का पाठ पड़ता है,
कर देता वो निर्मल मन को कोई ईर्षा वैर मुकाता है,
सब को सच्ची राह दिखा के कर्म काट ता काले,
है इक फकीरा शिरडी में,

सागर उस के दर पे जा के जो भी अलख जगाता है,
हाथ बड़ा के साई उसको अपनी शरण बिठाता है,
जो भी मिलते बेसहारे सब को वही संभाले,
है इक फकीरा शिरडी में,

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