सारे जग को देख के जाना तुम बिन मेरा कोई नही,
ठोकर खा कर हमने ये माना साईं बिन मेरा कोई नही,
झूठी है ये मोह और माया,
कोई किसी के काम ना आया,
मतलब निकल गया तो अपनों ने भी किया किनारा,
अपने तो है के पहचाना,
ठोकर खा कर हमने माना.....
कब तक झले ये काया,
सुख और दुःख की धुप और छाया,
अखिरिया में आचल देखा,
हमसे ही बिछड़ा अपना साया,
लगने लगे हर कोई,
तुम बिन अपना कोई नही,
ठोकर खा कर हमने है .....
नींद में सुंदर सवपन जगाया,
आख खुली तो जी गबराया,
अपनों ने भी किया किनारा,
कुछ नही अपना सब है पराया,
सब कुछ खो कर हमने ये जाना,
साईं बिन मेरे कोई नही.....