कण कण मा बसे ओ दाई

काला काला सब कहते है, काला जगसे आला,
काली पुतली काला सुरमा,आँख में बसने वाला,
इक काले पे पर्तनी रखी,एक सुदरसन वाला,
हे महाकाली तुम्हे मनाऊ, मेरा रंग भी काला,

कण कण माँ बसे ओ दाई,काली भवानी वो
मागव मैं अतके तोला ,दे दे बे तैहर मोला,
पाहु तोर दरसन  भाग मानी वो...

निसदिन तोर नाव लेथव, आठों पहर वो
सामाए सासा म तैहर, सासा भीतर वो,
जाबे झन रिसा करके मर जाहु मै हा सुररके,
जपथे गा साधु संत ज्ञानि वो...

तोरे रहत ले वो मरही,का सांसो फिकर वो,
गली गली तोरेच नावके,करथन जिकर वो,
तोरे लहरा म लहार के कोरमा तोर खुसर के,
दिया मा आके मोला पानी वो...

नइहे छोड़ तोर कोनो मोर नइ ये बसेरा वो
तोरे डेहरी मा एक दिन ,जाहु गुजार वो,
भले छाती ह वोदर के, नई जावव मै हा टरके,
"तारा" झन कर आना कानी वो...
""""""""""""''''''''"""""""""""'"''''''""
गायक- विजय संदूर
रचनाकार-तारा सिंह चौहान(गुरु जी)
RajaDariya रायपुर chhttishghar
download bhajan lyrics (858 downloads)