मां फूलो की फुलवारी,मां ममता की क्यारी,
मां पर मैं जाऊं वारी, मेरी मां को बलिहारी,
मां ही दया का है दरिया,
जग घूमिया मां जैसा न कोई जग घूमिया मां जैसा न कोई,
सारी दुनियां में मां जैसा न कोई.....
मां ही तो है मंदिर म्हारो, मां ही भगवान है,
मां के चरणो में म्हारो, जन्नत जहान है,
मां मेरे रब की रहमतों का दान है,
मां में ही दिखते मुझको सारे भगवान है,
मां प्यार की नदिया है, एक पल सौ सदियां है,
मां ममता की डलिया है, मां कमल की कलियां है,
मां ही दया का है दरिया, जग घूमियां मां जैसा न कोई,
सारी दुनियां में मां जैसा न कोई.....
सुबह शाम मां की सेवा, तीर्थ समान है,
गंगा की लहरे मां ही यमुना स्नान है,
सात सुरों की सरगम रागों का गान है,
हिमालय से ऊंची मां की दुवाओ का दान है,
तेरे सीने से लिपट जाऊं, छोटा बच्चा बन जाऊं,
तू लोरी सुनाए मुझे, तेरी गोद में सो जाऊं,
मां ही दया का है दरिया,जग घूमियां मां जैसा न कोई।
मां ही दया का है दरिया, जग घूमियां मां जैसा न कोई,
सारी दुनियां में मां जैसा न कोई.....
डॉ सजन सोलंकी