श्याम प्रभु सा देव नहीं कोई, स्वार्थ के संसार में,
सुमिरन करले श्याम नाम का, पार करें मझधार से । -2
हार ना तेरी होने देगा-2
दुनिया कि खाके ठोकर -2 जो खाटू में आता है,
तेरह सीढ़ी चढ़ते चढ़ते बिगड़ी श्याम बनाता, -2
बिगड़ी सारी यहीं बनेगी -2 बाबा के दरबार में।
सुमिरन करले श्याम.......
दानी हो गये कैसे कैसे -2 श्याम सा ना कोई दानी,
शीश दान दे दिया कृष्ण को, पलभर देर नहीं मानी,-2
खाटू में दरबार लगाके, सजधज बैठे साँवरे।
सुमिरन करले श्याम.......
जिसपे किरपा करता साँवरा -2 वो तो जग में निराला है,
साथ भगत के हरदम चलता, ऐसा खाटू वाला है, -2
अपने भगत की रक्षा करता दुश्मन हर वार से।
सुमिरन करले श्याम.......
किया हुआ जो माँ से वादा -2 हरपल इसने निभाया है,
हारे हुए के साथ रहुँ, हारे को सदा जिताया है, -2
उसको कौन हरा पायेगा, जिसके मालिक साँवरे।
सुमिरन करले श्याम.......
श्याम नाम का महामंत्र ये -2 फल देता मनमानी है,
कलयुग का ये देव दयालु, महिमा इनकी न्यारी, -2
छोड़ दें जीवन श्याम पे संजय, भली करेंगे साँवरे।
सुमिरन करले श्याम....... ।