श्याम तेरी लगन जो लगी
तो अगन भी लगे बर्फ सी
तेरी परशाई हम पे बिछी
जो मिठाई पे वो बर्क सी
सब जगह से निकाले हुए तेरी महफ़िल में शामिल हुए,
सच कहे एसी किरपा हुई अब जमाने के काबिल हुए
है मिजाजी ये मोसम बुरा
तू दवा मेरे हर मर्ज की
श्याम तेरी लगन जो लगी
थे दशा से बेचारे कभी
हर दिशा आज खुश रंग है
भीड़ में भी थे तन्हा बड़े अब कमी न जो तू संग है
जिन्दगी वो पढाई हुई
पाठ भी तू है तू शब्द भी
श्याम तेरी लगन जो लगी
आशा वादी ये दरबार है
हर निराशा गई हार है
पापी को भी जो निर्मल करे श्याम तेरा वही प्यार है,
होना सारा जहां पर मिले तेरे बिन सारे खुद गरज ही
श्याम तेरी लगन जो लगी