नटखट नटवर नागर कृष्णा
मनमोहन मुरलीधर कृष्णा
सपनों के आँगन में अपने
देखा मैंने अक्सर कृष्णा
धर्म कर्म से कभी न चूको
बोल गये परमेश्वर कृष्णा
लाज बचाने को भक्तों की
दास बने कभी चाकर कृष्णा
दिल से कभी बुला कर देखो
घर आयेगा चल कर कृष्णा
गीता के पन्ने पन्ने पर
बोले अक्षर अक्षर कृष्णा
शान्त गुरू के ज्ञान के सदके
पाया मन के भीतर कृष्णा