अरी ओ राधा रानी

धुन- ज़रा पर्दा हटा दो

अरी, ओ राधा रानी, ले जाऊँगा उठा के,
डोली, में बिठा के,
मैं मोहन, मुरली वाला हूँ, कोई और नहीं,
अरी मैं, तेरा चाहने वाला हूँ, कोई और नहीं ॥

चुरा के माखन, घर घर का, दिल मेरा ललचाए,
चोरी चोरी, चुपके चुपके, सब को बड़ा सताए ॥
माखन, चुराने वाला... मटकी, फोड़ाने वाला... ।
मैं मोहन, मुरली वाला हूँ, कोई और नहीं,
अरी मैं तेरा, चाहने वाला हूँ, कोई और नहीं ॥
अरी ओ राधा रानी, ले जाऊँगा...

कैसे, मिलन हमारा होगा, तूँ काला मैं गोरी,
मईया कहती, नहीं बनेगी, तेरी मेरी जोड़ी ॥
अरी मां, को मना ले... मईया को, समझा ले... ।
मैं मोहन, मुरली वाला हूँ, कोई और नहीं,
अरी मैं तेरा, चाहने वाला हूँ, कोई और नहीं ॥
अरी ओ राधा रानी, ले जाऊँगा...

चलो मनाएं, यमुना तट पर, एक अनोखा स्वंवर,
मोर मुकुट का, मेरा सेहरा, साड़ी तेरी पीताम्बर ॥
मईया, को मना ले... बाबा को, समझा ले... ।
मैं मोहन, मुरली वाला हूँ, कोई और नहीं,
अरी मैं तेरा, चाहने वाला हूँ, कोई और नहीं ॥
अरी ओ राधा रानी, ले जाऊँगा...

अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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