बरसाने में बसा लो

तरज़-मुझे अपने बुलाया,ये करमं नहीं तो क्या है

बरसाने में बसा लो,मुझको हे श्यामा प्यारी
बरसाओ ऐसी करुणा,जब तक रहे जिंदगानी
बरसाने में....

1.मैं थक गई किशोरी,दुनिया कि होते होते
कोई हुआ न अपना,कहूँ सच ये रोते रोते
अपना लो श्यामा प्यारी,कभी छोड़ना न दामन
बरसाने में....

2.मेरी आत्मा से पूछो,तुम्हे कितना चाहता हूँ
हर चाहना के पीछे,बस तुमको चाहता हूँ
बस कर दो एक इशारा,तेरी है मेंहरबानी
बरसाने में....

3.ले जाओ अब तो श्यामा,मेरी बाँह अब पकड़ के
घबरा रही किशोरी,कर्मो से अपने डर के
शर्मिंदा हूँ प्यारी,कैसे कहुं जुबां से
बरसाने में....

4.कितनें धनी हैं श्यामा,जिन्हें आप ने संभाला
करुणा की कोर करके,सिंधु से भव निकाला
मेरे सर पे हाथ रख दो,मै दासी हूँ तुम्हारी
बरसाने में....
बाबा धसका पागल पानीपत
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