कुशेश्वर नाथ अस्तोत्र

कुशेश्वर नाथ स्त्रोत्र

सदा वसन्तं गिरिजा-समेतम्
गणनाथ नाथं, प्रभु विश्वनाथम्।
करुणा स्वरुपं, प्रभु सौम्य रूपम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

1 कृपा कान्त करुणा स्वरुपं दयालु।
देवाधिदेवं प्रभुप्राणनाथम्।
अनाथस्य नाथं, जगद्बन्धु देव
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

2 प्राच्यां सदा कौशिकी श्री स्वरुपम्।
प्रतीच्यां च कमला सती संग दिव्यम्।
मध्येविभासित प्रभु सौख्यरुपम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

3 गले नागराजं सदा दिव्यभालम्
शशि शेखर शूल हस्तेकपालम्।
स्मितब्याघ्र चर्माम्बरंदिव्यमालाम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

4 वृषारुढ हस्ते त्रिशूलं गम्भीरम्
सदा देवतार्चित उमा संग शम्भू।
हर:दु:ख दारिद्र,पूर्णस्य पूर्णम्
गिरिजा कुशेश्वर प्रणमामि नित्यम्।।

5 गिरिजा कुशेश्वर स्त्रोत्रं,
य: पठेत्श्रद्धयान्वित:।
ऐश्वर्य श्री प्राप्नोति, कुशेश्वरस्य प्रसादत:।।

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