महसूस होने लगी है कृपा खाटू में जब से आने लगा हूं

महसूस होने लगी है कृपा सरण में जब से आने लगा हूं
तेरी कृपा से ओ मेरे बाबा मंजिल में अपनी पानी लगा हूं
महसूस होने लगी है कृपा खाटू में जब से आने लगा हूं

गलती पर गलती हम कर रहे हैं इस माया में भटक रहे हैं
इस माया से तुम ही निकालो शरण तुम्हारी आने लगा हूं
महसूस होने लगी है कृपा...

पहली बार मैं जब खाटू आया जो मांगा मैंने बो इससे पाया
बड़ा दयालु है मेरा बाबा महफूज अब मैं रहने लगा हूं!
महसूस होने लगी है कृपा...

जिसे मेली है दया तुम्हारी उसे पूछती ये दुनिया सारी
राम श्याम यह कह रहे हैं शरण में जीवन बिताने लगा हु
महसूस होने लगी है कृपा...

लेखक. प. राम श्याम अवस्थी ग्वालियर (वीरपुर बाले )
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