ज़ब गम का बादल छाता है
ना मन मेरा घबराता है
श्याम सहारा ज़ब सँग मे
फिर चिंता क्यों मुझे होंगी
तेरे होते मेरी हार बाबा कैसे होंगी
- अब ना चिंता फ़िक्र मुझे
सावरिया तेरे होने से
अब ना डर लगता मुझको
सावरियां कुछ खोने से
हाथ तुम्हारा जब सर पे
फिर चिंता क्यों मुझे होंगी
- मन करता हर रोज मेरा
बाबा खाटू आने को
दर आकर मेरे सांवरिया
दर्शन तेरा पाने को
नाम तुम्हारा ज़ब लब पे
फिर चिंता क्यों मुझे होंगी
- प्रेमी इनके श्री चरणों मे
जो भी शीश झुकाता है
हर दिन हर पल हर ,घड़ी
तेरी दया वो पाता है
नाम तेरा लूँ हरपल मै
फिर चिंता क्यों मुझे होगी