आई कीर्तन की रात

तर्ज -  मीठे रस से भरयोडी

आई कीर्तन की या रात, थाने आणो पड़सी बाबोसा, आणो पड़सी,
थारे भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी बाबोसा,
भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी,
आई कीर्तन की या रात.....

घ्रर आँगण म्हे खूब सजाया, तोरण द्वार बंधाया,
प्यारी प्यारी रंगोली बणाकर, दिपक है प्रगटाया,
बाबोसा भक्ता रो मान बढ़ाणो पड़सी,
बाबोसा, आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी,
आई कीर्तन की या रात......
         
भाँत, भांत, रा फूलडा मंगाकर थारो दरबार सजायो,
पावन ज्योत जगाकर बाबा, छप्पन भोग लगायो,
थाने चूरू धाम सु बाबोसा आणो पड़सी, बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी,
आई कीर्तन की या रात......

मंजू बाईसा रा हिवड़े विराजो, जाणे  दुनिया सारी,
बाईसा में ही दिखलादो, छवि आपरी प्यारी,
थाने हनुमंत सो रूप दिखाणो पड़सी, बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी,
आई कीर्तन की या रात......

थासुं बंधी है आश री डोरी, म्हाने धीर बंधाओ,
आ जाओ बाबोसा, अब क्यो कर देर लगाओ,
"दिलबर" थाने यो कोल निभाणो पड़सी, बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी,
आई कीर्तन की या रात......
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