बात बन गई

शरण में आया तो हर बात बन गई
कृपा ऐसी तेरी दिन रात बन गई

चाहतें थी मेरी जो पूरी कर दी
मुझे अपनाया ये सौगात बन गई

ज़माने भर में खुद को ढूंढ़ता था
ज़माने में मेरी औकात बन गई

जो कल तक पूछते थे मेरी मंज़िल
बात वो ही ढाल की पात बन गई

दुखों में घिर के भी खुश 'वैभव' रहता
बूंद खुशियों की अब बरसात बन गई