आधी रात में खनक गयो बैरी कंगना

इन प्यासे पपीहे से लोचन को,, निज दर्शन स्वाति पिला जा जरा ।
यह माया मरीच का दूर हटा,, दृग प्रेम का पाठ पढ़ा जा जरा ।।

नव नीरद भेष लिए मुरली,,इन नैनों के बीच समा जा जरा ।
अरे निष्ठुर मोहन आजा जरा,, वह रूप अनूप दिखा जा जरा ।।

अजहू ना आए , हमारे मोहना,,,
आधी रात में खनक गयो बैरी कंगना,,2,

रात बिताऊँ गिन,गिन तारे,, 2
ऐसे निठुर भए श्याम हमारे,,,2
श्याम बिना,  मेरो सूनो अंगना,,,,
आधी रात में खनक गयो,,,,,,,,

श्याम बिरह में, तड़पी जाऊं 2
बिजली चमके, डर,डर जाऊं 2
संग की सहेली, कोई भी संग ना,,,
आधी रात में खनक गयो,,,,,,

जब से गए मोरी सुध हू ना लीनी
ना जाने सौतन कर लीनी
वर्षों गुजरे, आ जाओ अब ना,,,,
आधी रात में खनक गयो,,,,,,,

सिंगर , भरत कुमार भारत दबथरा

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