नाचे कृष्ण मुरारी आनंद रस बरसे रे

नाचे कृष्ण मुरारी, आनंद रस बरसे रे |
नाचे दुनिया सारी, आनंद रस बरसे रे ||

नटखट नटखट हैं नंदनागर, मारे कंकर फोड़े गागर |
चोरी कर कर माखन खावे, फिर भी गोपीयन के मन भावे |
सब जावे बलिहारी, आनंद रस बरसे रे ||

यमुना तट पर गाय चराए, वट पर बैठा बंसी बजाये |
सावल सावल सब का प्यारा, दाऊ का भईया, नन्द दुलारा |
काँधे कमली काली, आनंद रस बरसे रे ||

मोर मुकट पीताम्बर तन पे, तन मन वारी मनमोहन पे |
जो देखे उस के मन भावे, भक्तो पर करुना बरसावे |
संग वृषभानु कुमारी, आनंद रस बरसे रे ||

काहना जी से प्रीत लागलो, अपने ह्रदय के बीच बसलो |
नाचो भक्तो मिल कर नाचो, सावरिया के रंग मे राचो ||
नाचे बांके बिहारी, आनंद रस बरसे रे ||
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