आओ कुंजबिहारी

हे, पापों से भर गई धरा यह — आओ कुंज बिहारी,
पापों से भर गई धरा यह — आओ कुंज बिहारी।।
हाँ आओ कुंज बिहारी, हाँ आओ कुंज बिहारी।।(दोहराएँ)

हे श्याम रे, दर्शन दो घनश्याम,
हे गिरधारी, हे मुरारी — अब तो तजो हरिधाम, श्याम रे।।
(कोरस – “हाँ आओ कुंज बिहारी…)

ऐसा शुभ क्षण, ऐसी घड़ी है — जग में हर्ष समाया,
कृष्ण कन्हैया जन्म लिए हैं — सुख का सागर लाया।।
सुख का सागर लाया, धन्य हुआ यह मथुरा धाम,
हे गिरधारी, हे मुरारी — अब तो पधारो ब्रजधाम, श्याम रे।।
(कोरस – “हाँ आओ कुंज बिहारी…)

कष्टों की अब ठौर न कोई, हर मन में खुशियाँ छाईं,
पालनहारे, जगत तुम्हारा — सब पीड़ा हर पाई।।
सब पीड़ा हर पाई, हर्षित सारे तीर्थ-धाम,
हे गिरधारी, हे मुरारी — तुमसे ही सारा जहान, श्याम रे।।
(कोरस – “हाँ आओ कुंज बिहारी…)

कैसे तुझे रिझाऊँ कान्हा, तू नन्द के घर आया,
भूल गए सब दुख और पीड़ा — दर्शन सुख पाया।।
दर्शन सुख पाया, भर दे प्रेम का मधुर घमंड,
हे गिरधारी, हे मुरारी — कर दे जीवन आनंद, श्याम रे।।
(कोरस – “हाँ आओ कुंज बिहारी…)

✍️ रचनाकार: उमेश यादव, शांतिकुंज, हरिद्वार

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