भजन : यहाँ अत्याचार कितना क्या तुम नहीं जानते ।
यहाँ अत्याचार कितना, क्या तुम नहीं जानते ?
प्रभू रुक नहीं सकता, तुम्हारे बिना ॥
सुना है प्रभू सबके, हरते हो गम ।
दुःखियों के कष्टों को, करते हो कम ॥
तुम बिन हरे दुःख मेरा, कौन ये बताऽ ।
यहाँ अन्धकार कितना, क्या तुम नहीं जानते ?
प्रभू रुक नहीं सकता, तुम्हारे बिना ॥
कहते धरम के खातिर, लेता जनम ।
गो-द्विज-भक्त के, हरता हूँ गम ॥
फिर क्यों नहीं आते हो ? ये तो बताऽ ।
मचा हाहाकार कितना, क्या तुम नहीं जानते ?
प्रभू रुक नहीं सकता, तुम्हारे बिना ॥
प्रभू तंग करते हैं, पापी सदा ।
प्रभू आओ ले करके, चक्र-गदा ॥
कान्त की सुनलो प्रभु जी, अब ना सता ।
यहाँ दुराचार कितना, क्या तुम नहीं जानते ?
प्रभू रुक नहीं सकता, तुम्हारे बिना ॥
भजन रचना : प. पू. श्री श्रीकान्त दास जी महाराज ।