मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा

मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा

मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा,
ध्यान करूँ ना गुणगान करूँ,
पर दिल से लगाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा......

ठुकराया गया इस जग में जो,
उसे फिर से हँसाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा.......

भक्ति की राह न जाने जो,
उसे चरण बिठाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा.....

उपवन में जिसके पतझड़ था,
खूब चमन खिलाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा....

जो योग्य नहीं तेरी रहमत का,
उसे धन्य बनाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा....

आभार: ज्योति नारायण पाठक
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