सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया,
ज़रा ओढ़ के दिखा महरो मान बड़ा बोले टाबरियां,
भाव के बंदे थारा प्रेम का जरिया,
ज़रा ओढ़ के दिखा महरो मान बड़ा बोले टाबरियां,
सोनी सोनी प्यारी प्यारी लाया हां चुनरिया,
जयपुर से माँ पोत मँगवायो चिपकाया थारा भाव छू,
चार कुठ में चार मोरियाँ खूब सज्या मैं चाव सु,
चम् चम् चमके चुनड़ी धमके आया माँ थारे द्वार पे,
पल में ही बाजे छोटा छोटा रे गुगरियाँ,
ज़रा ओढ़ के दिखा महरो ......
लहराती थी लाल चुनर में मैया प्यार वासो महारो,
यह चुनरी ने ओढ़ के लागे रूप सजिलो माता थारो,
मैया प्यारी लागे नयारी इ सारे संसार में,
डर लागे माने कहे लागे न नजरिया,
ज़रा ओढ़ के दिखा महरो...
चुनार ओडन खातिर मैया पल में दोढ़ी आई है,
श्याम कावे या चुनरी प्यारी भगता के मन भई है,
उड़के बैठी रतन सिंगसन मूल के मैया प्यार से,
चरना में बीते मैया मारी रे उमरिया ओ जरा,
ज़रा ओढ़ के दिखा महरो