भक्तो के संग पैदल पैदल जाना से,
मैया के मंदिर में निशान चढ़ाना से,
भक्तो के संग में मिलकर धूम मचाना से,
मैया के मंदिर में निशान चढ़ाना से,
आया मेला महसरा माँ का खूब सजा दवारा,
देखे लाखो नज़ारे पर देखा न ऐसा नजारा,
भक्तो के संग में दर पे शीश झुकना से,
मैया के मंदिर में निशान चढ़ाना से,
अठली से पैदल चलती है भक्त के संग में मैया,
कन्या रूप बना कर वो तो पार लगती नैया,
भगतो के संग में हम को दर्शन पाना से,
मैया के मंदिर में निशान चढ़ाना से,
पिंडी रूप में बैठी देखो मैया महासर वाली,
जो भी निशान चढ़ाते उनकी होती रोज दिवाली,
तेरे दर पे आके श्याम ने भजन सुनना से,
मैया के मंदिर में निशान चढ़ाना से,