इस मतलब की दुनिया में कही मिलता सचा प्यार नही,
देख बनाकर श्याम को साथी इनसे सच्चा यार नही,
भले ही मूरत बनकर बेठा पर तेरे ही साथ खड़ा,
आये संकट जब भी तुझपर तुझसे पहले श्याम लढा,
लौटा हो मायूस कभी कोई ये ऐसा दरबार नही,
देख बनाकर श्याम को साथी इनसे सच्चा यार नही.....
जिसने शीश का दान दिया हो उनको तुम क्या परखोगे,
जो न किरपा इनकी हो पानी को भी तरसो गये,
मोह माय से रीज ता हो ये ऐसा साहूकार नही,
देख बनाकर श्याम को साथी इनसे सच्चा यार नही,
कहता राज की दुःख में अपना धीरज ना खोना प्यारे,
कही और न जाना तुम इनसे ही कहना प्यारा,
श्याम को जिसने जीत लिया कभी होती उसकी हार नही.
देख बनाकर श्याम को साथी इनसे सच्चा यार नही,