नाच नाच के होते नहीं है बसत,
मई के भक्त बड़े ही मस्त,
माँ के नाम का अमृत पीते,
माँ के नाम से झुमके जीते ,
माँ के नाम को रट ते रहते लेते नहीं है रेस्ट,
मई के भक्त बड़े ही मस्त,
माँ की नगरी जो भी आया मुँह माँगा सब कुछ पाया,
गंगा जी के पानी से काट जाते सब कष्ट,
मई के भक्त बड़े ही मस्त,
सच्चा ये दरबार प्यारा सारे जग में बड़ा नयरा,
गगनदीप भी गाते गाते होता नहीं है थर्स्ट,
मई के भक्त बड़े ही मस्त,