शीश का दानी है तू

शीश का दानी है तू है महादानी तू,
मांगने आ गई मैं तेरे दवार पर,
सिर्फ हारे का एक सहारा है तू इस ज़माने से आई हु मैं हार कर,

सेठ सबसे बड़ा तू संसार में ना हो कमी तेरे भंडार में,
किसने ये है जगाई ये अलख दरबार पे,
शीश का दानी है तू है महादानी तू,
मांगने आ गई मैं तेरे दवार

भीख देनी पड़ेगी हर हाल में
वरना रो रो मर जाओ कंगाल में,
दुःख ववर से मुझे सँवारे पार कर,
शीश का दानी है तू है महादानी तू,
मांगने आ गई मैं तेरे दवार

रुतबा तेरा यहाँ में आलीशान है,
अपने बंदो में होता मेहरबान है,
फिर क्यों अब जिए लेहरी मन मार कर,
शीश का दानी है तू है महादानी तू,
मांगने आ गई मैं तेरे दवार
download bhajan lyrics (739 downloads)