बड़ी दूर से आया हु संवारे कहने दिल की बात,
लाज रखो मेरे श्याम,
मैं तो हु दीं अनाथ कहा हो तुम देना नाथ,
लाज रखो मेरे श्याम,
गम के थपेड़ो से हर दम ही हारा हु,
अपनों में रह कर भी मैं बेसहारा हु,
तुमसे ना कुछ भी छिपे है श्याम मेरे हालात,
लाज रखो मेरे श्याम,
दुनिया की अखो में चुभने लगा हु मैं,
अपने ही साये ही डरने लगा हु मैं,
आँखों से भी होने लगी अब अक्षो की बरसात,
लाज रखो मेरे श्याम,
अनसु ही है केवल तुम्हे भेट चडाने को,
अब थाम लो आ कार कान्हा दीवाने को,
झोली में मोहित की ढाल दो प्रेम की सोगात,
लाज रखो मेरे श्याम,