गिरधर मेरे मौसम आया

गिरधर  मेरे मौसम आया धरती के शृंगार का,
ढाल ढाल पर लग गए झूले बरसे रंग प्यार का.

उमड़ गुमड़ काली घटा शोर मचती है,
स्वागत में तेरे संवारा जल बरसाती है,
कोयलियाँ कुक ती मयूरी झूम ती तुम्हारे बिन मुझको मोहन,
बहारे फीकी लगती है,
गिरधर  मेरे मौसम आया धरती के शृंगार का,
ढाल ढाल पर लग गए झूले बरसे रंग प्यार का.

चाँदी भर चांदनी अंग जलती है,
झड़नो की ये रागनी दिल तड़पती है,
चली जब पूर्वहि तुम्हारी याद आई,
गुलो में अंगारे बहके कसक बढ़ती ही जाती है,
गिरधर  मेरे मौसम आया धरती के शृंगार का,
ढाल ढाल पर लग गए झूले बरसे रंग प्यार का.

ग्वाल बाल संग गोपियाँ श्री राधे आई,
आज कहो तुम्हे कौन सी कुब्जा भरमाई,
तुम्हारी रह में मिलन की चाह में,
विचाये पलके बैठे है तुम्हरी याद सताती है,
गिरधर  मेरे मौसम आया धरती के शृंगार का,
ढाल ढाल पर लग गए झूले बरसे रंग प्यार का.

श्री राधे के संग में झुलु जी मोहन,
छेड़े रसीली बांसुरी शीतल होये तन मन,
बजी जब बांसुरी खिली मन की कली,
मगन नंदू सारी सखियाँ तुम्हे झूला झूलती है,
गिरधर  मेरे मौसम आया धरती के शृंगार का,
ढाल ढाल पर लग गए झूले बरसे रंग प्यार का.
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