हम श्याम नगर के वासी है

हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है,

सोने के महल अटारी यहाँ,
मणियों से चमा चम रहती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

अष्ट सिद्धि नव निधि तो यहाँ हर घर ने बैठी रहती है,
हर गली कूचे बाज़ारो में गीता रामायण होती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

यहाँ श्याम घटा नित शाई रहे अमृत की वर्षा होती है,
मणि मणिक मोती लाल जवारात की यहाँ खेती होती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

जिसकी तीनो लोको में वो श्याम जगमग ज्योति है,
इस धरती से तुम तिलक करो ये श्याम चरण रज रेती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

आते है भिखारी लाखो यहाँ मन मानी बिक्शा पाते है,
हर रोज बंसत बहार यहाँ हर रोज दिवाली होती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

पापी पांखडी लोभी से सो योजन उची रहती है,
भक्तो के रेबेह स्थन में तो ये हर वक़्त समाई रहती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है

श्री श्याम की शतर छाया में  सब प्राणी हस्ते रहते है,
तू सोहन लाल लोहाकार कहे ये मस्तानो की मस्ती है,
हम श्याम नगर के वासी है,
यहाँ दूध सी गंगा बहती है
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