मुझको तो विश्वाश यही न होगी मेरी हार,
हर पल मुझपर नजर रखे है बाबा मेरे लक्खदातर,
वही मेरी नाव चलाये वही मुझे पार लगाए,
मुझको तो विश्वाश यही न होगी मेरी हार,
मैं जो चल रहा हु उसके कदम है,
चलती है सांस ये उसका कर्म है,
मेरे तन के हर हिसे पर उसका है अधिकार,
हर पल मुझपर नजर रखे है बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाये वही मुझे पार लगाए,
करू क्यों फ़िक्र मैं अपनी वो ही संभाले,
पेट जो दिया है वोही देगा निवाले,
मुझको भी पाले गा वो तो पाल रहा संसार,
हर पल मुझपर नजर रखे है बाबा लखदातार,
हर पल मुझपर नजर रखे है बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाये वही मुझे पार लगाए,
श्याम भरोसा ही है मेरी कमाई,
बिना श्याम के कुछ न देता दिखाई,
पंकज इन चरणों में रह कर हो जाये भवसे पार,
हर पल मुझपर नजर रखे है बाबा लखदातार,
वही मेरी नाव चलाये वही मुझे पार लगाए,