मेरे मन में वस गइयो श्याम लला,
भाये कैसे कोई अब और भला,
चाहे ज़माना अब कुछ भी कहे रे ,
मैं श्याम की श्याम मेरे भये रे,
मेरी अखियां में वस् गयो श्याम लला,
भाये कैसे कोई अब और भला,
जबसे लडे श्याम सूंदर से नैना,
तब से कही वेरी जिया लगे न,
कालो जादू सो कर गइयो श्याम लला,
भाये कैसे कोई अब और भला,
संवरी सुरतियाँ ने पागल कियो री,
मुरली ने गोड़ी ने घायल कियो री,
अपने रंग में ही रंग गयो श्याम लला,
भाये कैसे कोई अब और भला,