क्या बताये तुम्हे खाटू वाले किस कधर तुमसे चाहत है हम को
हर गद्दी नजरे तुम को निहारे कैसी जुलमी महोबत है हम को,
तेरे जलवो ने हम को दीवाना कर दिया सारे जग से बेगाना,
तेरी मर्जी पे अब बात छोड़ी सिर्फ तेरी ही हसरत है है हम को,
क्या बताये तुम्हे खाटू वाले किस कधर
बे रूखी ऐसे तुम न दिखाओ नैनो से नैन आ कर मिलाओ,
और कुछ भी इन्हे अब ना भये अब तो तेरी ही आदत है इनको,
क्या बताये तुम्हे खाटू वाले किस कधर ..
तेरी कटपुतली बन गई हु,
इस कदर में तेरी हो गई हु,
जैसे चाहे नचालो ये शर्मा भोलिये का इजात है हम को,
क्या बताये तुम्हे खाटू वाले किस कधर