ग्यारस की रात

हर ग्यारस की बाबा,
तेरी रात जगाते है,
मेरे खाटू वाले की,
हम ज्योत जगाते है......

जब ग्यारस आती है,
मेरी नींद चुराती है,
इस खाटू वाले से,
ये नैन लड़ाती है,
क्या क्या बतलाती है,
हम समझ ना पाते है,
मेरे खाटू वाले की,
हम ज्योत जगाते है.......

ओ खाटू वाले सुन,
तेरी ज्योत जगाई है,
आने में क्यों इतनी,
अब देर लगाई है,
लीले पर चढ़कर आ,
हम नैन बिछाते है,
मेरे खाटू वाले की,
हम ज्योत जगाते है.......

हर भक्तों की इच्छा,
यहाँ पूरी होती है,
घनश्याम का ये वरदान,
अधूरी ना होती है,
'मित्रमंडल' का पैगाम,
हम तुम्हे सुनाते है,
मेरे खाटू वाले की,
हम ज्योत जगाते है.......

हर ग्यारस की बाबा,
तेरी रात जगाते है,
मेरे खाटू वाले की,
हम ज्योत जगाते है…….
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