नहीं जानते हम तुम को मनाना,
हम से कन्हियाँ रूठ न जाना,
लायक नहीं हु मैं जानता हु ,
अपने गुन्हा को पहचान ता हु,
अपना समज सारी घटाये भुलाना,
हम से कन्हियाँ रूठ न जाना,
ये पूजन ये अर्चन ये बंधन ना आये,
कहो श्याम प्यारे तुझको कैसे मनाये,
प्रेम किया है तुम से प्रेम निभाना,
हम से कन्हियाँ रूठ ना जाना,
अगर जो ना होता भरोसा तुम्हारा,
दुनिया मे कैसे होता गुजारा,
किरपा की छइयां कभी न हटाना,
हम से कन्हियाँ रूठ न जाना,