देता शिर्डी वाला साईं शरनाघट का हाथ,
मैं भी तेरी शरण में आया थाम ले मेरा हाथ,
रो रही आँखे मेरी हस्ता ज़माना है,
मुश्किलों में गिर गया तेरा दीवाना है,
बिन तेरे अब कौन सुने मेरे दिल की बात,
मैं भी तेरी शरण में आया थाम ले मेरा हाथ,
हर कदम पर मैं क्यों भला मार खाता हु,
जीतना चाहू मगर मैं हार जाता हु,
आ साईं अब देख ले मेरे ये हालत,
मैं भी तेरी शरण में आया थाम ले मेरा हाथ,
तू नही सुनता अगर किसको सुनता मैं,
जखम जो दिल पे लगे किसको दिखता मैं,
दर्द ज़माने ने दिये और किये आधार,
मैं भी तेरी शरण में आया थाम ले मेरा हाथ,