अब न मैं फोड़ू गा मटकी तुम्हारी,
तू देदे न बांसुरियां ओ राधा प्यारी,
जानू मैं मानु ये गलती हमारी,
तू देदे न बांसुरियां ओ राधा प्यारी,
झूलना झूला दूंगा ढाल कदम पर,
ऐसा ना मुहवा फुलवा हम पर,
उस में वसी है ज़िंदगी हमारी,
तू देदे न बांसुरियां ओ राधा प्यारी,
अपने कन्हियाँ को ऐसे न तंग कर,
छोटी सी बात पर राधे न जंग कर,
किसको सुनाऊ मैं अपनी लचारी,
तू देदे न बांसुरियां ओ राधा प्यारी,
मुझको भी तुमने कहा माखन चोर से,
इसका तो मैंने किया भी न शोर रे,
तुम को सिखाई है सखियाँ तुम्हारी,
तू देदे न बांसुरियां ओ राधा प्यारी,